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श्री बड़ा हनुमान जी मंदिर

श्री बड़ा हनुमान जी मंदिर श्री दुर्ग्याणा मंदिर के उत्तर-पश्चिमी कोने पर स्थित है । हिंदू इस स्थान को बहुत महत्व देते हैं, क्योंकि धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान श्री राम जी द्वारा अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा यहाँ पर उनके सपुत्रों लव और कुश द्वारा यहाँ रोका गया था तो उसे छुड़वाने के लिए श्री हनुमान जी खुद यहाँ आए थे और उन्हें लव और कुश द्वारा यहाँ बंधक बना लिया गया था और यहाँ पर पेड़ से बाघ दिया था, जो कि आज भी मंदिर प्रांगण में विद्यमान है । किंवदंती है कि तत्कालीन जगलों में माता सीता जी और उनके दोनों पुत्र लव और कुश इसके आस-पास रहते थे ।

यहां श्री हनुमान जी की स्वयंभू ‘दुर्लभ’ प्रतिमा सुशोभित है । यह प्रतिमा विश्व की उन दो प्रतिमाओं में से एक है, जिनमें श्री हनुमान जी बैठी हुई मुद्रा में विराजमान हैं । दूसरी प्रतिमा श्री अयोध्या जी के श्री हनुमान गढ़ी में विराजित है।

शरद नवरात्रि उत्सव में अमृतसर के श्री दुर्ग्याणा परिसर में श्री बड़ा हनुमान मंदिर में विश्व का इकलौता लंगूर मेला आयोजित होता है । जहाँ विश्व भर से हिन्दू समुदाय एवं अन्य समुदायों के लोग अपने बच्चों को लंगूर के रूप में संपूर्ण नवरात्री उत्सव के दिनों में सुबह व शाम दोनों समय परिवार सहित नतमस्तक होने पहुँचते हैं । वास्तव में लंगूर बनांये जाने वाले बच्चे के अभिभावक (माता-पिता) इस मंदिर अपने घर में बच्चा होने की मन्नत मांगते हैं कि अगर उन्हें बच्चा हुआ तो वे उसे लंगूर बनाएंगें । मनोकामना पूरी होने पर वे अपने बच्चे को लंगूर की पोशाक पहनाते हैं और रोजाना सुबह और शाम यहाँ नतमस्तक होने पहुँचते हैं।

हर दिन हजारों बच्चे लंगूर का वेश धारण करके (लंगूर की वेशभूषा में) मंदिर में आते हैं । वे अपने साथ एक खिलौनानुमा गदा रखते हैं और ढोल की थाप लंगूरों की तरह मंदिर परिसर में इधर-उधर कूदते हैं व नृत्य करते हैं । बच्चे और माता-पिता नवरात्रों के पूरे समय नंगे पैर रहते हैं, फर्श पर सोते हैं, केवल सात्विक भोजन करते हैं, ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और इस दौरान किसी भी रिश्तेदार से मिलने नहीं जाते हैं और रोजाना प्रार्थना करने व नतमस्तक होने के लिए सुबह-शाम दोनों समय श्री बड़ा हनुमान जी मंदिर पहुँचते हैं।