लंगर एक ऐसी प्रथा है, जो समानता के विचार को बढ़ावा देती है। स्वयंसेवकों द्वारा परोसे जाने वाले शाकाहारी भोजन के लिए वर्ग, नस्ल या आय के भेदभाव के बिना मंदिर में दर्शनों हेतु आने वाले श्रद्धालु एवं अन्य लोग समान रूप से फर्श पर एक साथ पंगत में बैठते हैं तथा लंग ग्रहण करते हैं। श्री दुर्ग्याणा मंदिर में लंगर हर किसी को परोसा जाता है, चाहे उनकी जाति, रंग, पंथ या लिंग कोई भी हो। हर दिन लगभग 10000 लोग लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं और धार्मिक समारोहों के दौरान यह संख्या 50000 से भी ज्यादा तक बढ़ जाती है। इस नेक कार्य हेतु दानदाताओं की कोई कमी नहीं है।