यह एक बहुत ही प्राचीन और विरासती मंदिर है, जो चौरस्ती अटारी में स्थित है । इस मंदिर का निर्माण 1851 में सरदार तेजा सिंह ने करवाया था, जो महाराजा रणजीत सिंह के दरबार में एक महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत्त थे और खुशहाल सिंह के भतीजे थे । यह मंदिर श्री राधा-कृष्ण जी को समर्पित है और यह उत्तर भारत की प्रचलित वास्तुकला की नागरा शैली का एक अच्छा उदाहरण है । इसकी दीवारों पर फूलों की कलाकृतियाँ, विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों में स्टेनलेस ग्लास और लकड़ी के मुखौटे के साथ विशाल लकड़ी के दरवाजे और दरवाजों और खिड़कियों पर लकड़ी की नक्काशी बहुत आकर्षक है । करीब 30 साल पहले इसका प्रबंधन श्री दुर्ग्याणा कमेटी को सौंपा गया था ।